Monday, March 7, 2016

देखिए तो, देश की रूह काँपती है...

दरवाजे पर खड़ा होकर
कुत्ता रोता है
ऊपर को मुँह उठाकर
अर्द्धनग्न-सा मालिक 
अन्दर से आता है
कुत्ते की पीठ पर हाथ फिराता है
गोया कुत्ते के पेट में
भौंका हो किसी ने छुरा
बीच सड़क पर होकर खड़ा
बकता है भद्दी-भद्दी गालियाँ
शासन को, व्यवस्था को
और सारी शासित प्रजा को
आक्रोश, विद्रोह और विरोध की
हवा से भगा देता है-
रात्रि-प्रहरियों को
कुत्ता मुस्कुराता है

मालिक 
शयनकक्ष में जाकर
खरीदी गई 
गरम गोस्त में लबलबाती खूबसूरती के
नशे में डूब जाता है
कुत्ता 
ताकता है सोफे पे पड़ा-पड़ा
मटकाती आँखों से
शयन कक्ष की ओर

शासन, व्यवस्था और सारी शासित प्रजा
दूर से सुनती है
जाने कौन-सी कांय-कांय
और 
कांपती है...
कांपती है...

देखिए तो 
देश की रूह 
काँपती है...

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