दरवाजे पर खड़ा होकर
कुत्ता रोता है
ऊपर को मुँह उठाकर
अर्द्धनग्न-सा मालिक
अन्दर से आता है
कुत्ते की पीठ पर हाथ फिराता है
गोया कुत्ते के पेट में
भौंका हो किसी ने छुरा
बीच सड़क पर होकर खड़ा
बकता है भद्दी-भद्दी गालियाँ
शासन को, व्यवस्था को
और सारी शासित प्रजा को
आक्रोश, विद्रोह और विरोध की
हवा से भगा देता है-
रात्रि-प्रहरियों को
कुत्ता मुस्कुराता है
मालिक
शयनकक्ष में जाकर
खरीदी गई
गरम गोस्त में लबलबाती खूबसूरती के
नशे में डूब जाता है
कुत्ता
ताकता है सोफे पे पड़ा-पड़ा
मटकाती आँखों से
शयन कक्ष की ओर
शासन, व्यवस्था और सारी शासित प्रजा
दूर से सुनती है
जाने कौन-सी कांय-कांय
और
कांपती है...
कांपती है...
देखिए तो
देश की रूह
काँपती है...
कुत्ता रोता है
ऊपर को मुँह उठाकर
अर्द्धनग्न-सा मालिक
अन्दर से आता है
कुत्ते की पीठ पर हाथ फिराता है
गोया कुत्ते के पेट में
भौंका हो किसी ने छुरा
बीच सड़क पर होकर खड़ा
बकता है भद्दी-भद्दी गालियाँ
शासन को, व्यवस्था को
और सारी शासित प्रजा को
आक्रोश, विद्रोह और विरोध की
हवा से भगा देता है-
रात्रि-प्रहरियों को
कुत्ता मुस्कुराता है
मालिक
शयनकक्ष में जाकर
खरीदी गई
गरम गोस्त में लबलबाती खूबसूरती के
नशे में डूब जाता है
कुत्ता
ताकता है सोफे पे पड़ा-पड़ा
मटकाती आँखों से
शयन कक्ष की ओर
शासन, व्यवस्था और सारी शासित प्रजा
दूर से सुनती है
जाने कौन-सी कांय-कांय
और
कांपती है...
कांपती है...
देखिए तो
देश की रूह
काँपती है...
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