Monday, August 30, 2010

कुछ छुटपुट हाइकु

०१.
डूबे मगर
उछले भी तो खूब
मछली बन

०२.
दिल में कहीं
खदकता सा कुछ
आँखों में गिरा

०३.
लू के थपेड़े
खाए तो समझा, यूं
सूरज भी है

०४.
देखूँ कितने
छोटी छोटी आँखों से
बड़े सपने!

०५.
लिखते हुए
टूटी कलम, जैसे
सपने मेरे!

०६.
आसमां पर
लिखी नहीं पड़ता
भाषा कोई!

०७.
लिखे जो शब्द
ठूंठ से खड़े रहे
कोष के द्वारे

०८.
पेड़ पै टंगे
वे पत्ते सूखकर
उसूल बने!

०९.
झांका मन में
सुरंग में केवल
नीरवता थी

१०.
देखो तो कभी
समुद्र में उतर
जी भरकर!

2 comments:

sky-blue freak :D said...

Umesh uncle,
I like your haiku( s).....
Its hard me to read Hindi...however I can read....but very slowly....mum read these to me ....
I enjoyed every haiku....

शरद कोकास said...

बढ़िया हाइकू हैं भाई ।