उमेश महादोषी की कविताएं
बहुत खूब .....!!आपकी पत्रिका मिल गयी थी .....परिचय की भूमिका जो शब्द बांधे हैं आपने ....मेरा लिखना सार्थक हुआ .....बहुत बहुत शुक्रिया .....!!
सही हाइकू हैं
उमेश भाई,सुन्दर हाइकू...साफ़-सुथरी प्रस्तुति! इन हाइकुओं ने बहुत प्रभावित किया- पेड़ पे टँगेवे पत्ते सूखकरउसूल बने!देखो तो कभीसमुद्र में उतरजी भरकर!डूबे मगर उछले भी तो खूबमछली बनमैं देखूँ बसमछली की सूरतइस झील मेंचतुर्दिक कनफोड़ू शोरगुल के दौर में आप एक शांत और ख़ुशनुमा ख़ामोशी-भरे माहौल में साधनारत् है...!
फिर मिलेंगेजो नहीं निभ सकानिभाने उसे बहतरीन...
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4 comments:
बहुत खूब .....!!
आपकी पत्रिका मिल गयी थी .....
परिचय की भूमिका जो शब्द बांधे हैं आपने ....मेरा लिखना सार्थक हुआ .....
बहुत बहुत शुक्रिया .....!!
सही हाइकू हैं
उमेश भाई,
सुन्दर हाइकू...साफ़-सुथरी प्रस्तुति! इन हाइकुओं ने बहुत प्रभावित किया-
पेड़ पे टँगे
वे पत्ते सूखकर
उसूल बने!
देखो तो कभी
समुद्र में उतर
जी भरकर!
डूबे मगर
उछले भी तो खूब
मछली बन
मैं देखूँ बस
मछली की सूरत
इस झील में
चतुर्दिक कनफोड़ू शोरगुल के दौर में आप एक शांत और ख़ुशनुमा ख़ामोशी-भरे माहौल में साधनारत् है...!
फिर मिलेंगे
जो नहीं निभ सका
निभाने उसे
बहतरीन...
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